लिखा था जो कुछ बेख़याली में, भूल कर उसको
ज़िदगी; पहले सा वो जुनून न मांग.
फ़ेर लेना नज़र उस ओर से
किसी रोते हुए बच्चे की भूख न मांग,
मोम की इन उँगलियों से,
चट्टान से शब्दों की हूक न मांग.
ज़िन्दगी; पहले सा वो जुनून न मांग .
रख ले तू पूरी चांदनी आज की रात,
सूरज से उसके हिस्से की धूप न मांग ,
लग जाये मेरी सारी उमर तुझको;ग़म नहीं,
मुझसे मेरा वज़ूद न मांग
ज़िन्दगी वो पहले सा जुनून न मांग.
फिर छाएंगे रंग पेड़ों पर पतझड़ के बाद,
परिंदों से नयी शाख़ पर ठिकाना न मांग,
हालात कुछ भी हों डर नहीं,
कम से कम मुर्दों से,
मेरे जिंदा होने का सुबूत न मांग
ज़िन्दगी वो पहले सा जुनून न मांग.
BHUT KHUB KYA BAAT HAI.
जवाब देंहटाएंkya likha hai yaar
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