मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

मिले जो मौत मुझे रस्ते में आज,तो बात बन जाये.
चेहरे पे उसके फिर जो हो अंदाज़,तो बात बन जाये.

पूछूं उससे क्यूं आती नहीं मेरी गलियों में,
आती भी है तो आवाज़ लगाती नहीं क्यों? 
पूछ लेना  किसी से भी पता ज़िन्दगी का
फिर भी दे जाये जो तेरी हिम्मत ज़वाब,
तो बात बन जाये .

रिश्ता तेरा -मेरा कुछ तो स्पेशल है,
छा जाए मेरा नशा इस क़दर,
कि नींद में भी आये तुझे ज़िन्दगी के ख़्वाब,
तो बात बन जाये.


मिलन होगा हमारा ये तो तय रहा, 
बिछड़ने का ग़म फिर क्यों सता रहा,
ग़ुम हो जाये तू शीरीं बन के कहीं,
ढूँढूं मैं बनके तुझे फरहाद,
तो बात बन जाए.

मिलना न मुझे बेवक्त कभी,
सो रहा हो जब सारा संसार,
मिले हम-तुम जो हो चांदनी रात ,
फिर भी न माने  अगर तू,
बाहें मरोड़कर मैं तेरी ,
कहूँ कर ले थोड़ा इंतज़ार, 
तो बात बन जाये.


मिले जो मौत मुझे रस्ते में आज ,तो बात बन जाये.
चेहरे पे फिर उसके जो हो अंदाज़ ,तो बात बन जाये . 

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