बुधवार, 11 अप्रैल 2012

हवा हुए हवाई राजा



गृह मंत्रालय की नयी मांग के साथ आज सवेरे की नींद खुली.सुनो जी सोच रही थी कि सांई बाबा के दर्शन कर आयें साथ में शिरडी वाले. साईं दर्शनसे तो कोई फर्क न पड़ा पर शिरडी के के साईं बाबा कि डिमांड ने भीतर तक सुनामी मचा दी. लगा जैसे किसी ने कोटेदार के यहाँ से बिना कंकड़ वाला चावल लाने को कह दिया हो. शनि देव कि तरह शिर्डी के साईं भी इधर कुछ दिनों से डिमांड में हैं.श्रीमती जी  कि मांग कथा जारी थी और मैं असहाय भक्त कि तरह सब सुन रहा था.क्या है न इधर रेलों में सफऱ करना बड़ा एडवेंचरस हो गया है.कभी रेल पटरी पर से उतर जाती है तो कभी रेलें ही एक दूसरे पर चढ़ जाती हैं. सोचती हूँ की हवाई जहाज से शिर्डी के डरेशन कर आऊं.आजकल पानी और दर्शन दोनों ही बड़े दुर्लभ हैं, लायीं लगने पर भी नहीं मिलते.हवाई यात्रा से हमारी भक्त केटेगरी भी चेंज हो जाएगी.जमीन तो बची नहीं थी पैरों टेल बचे- खुचे गड्ढे भी खिसक द्दड्ड4 इ. मैनें समझाना शुरू किया- देखो भागवान!ये हवाई जहाज के लक्षण ठीक नहीं.मानलो टिकट मिल्भी गया तो क्या गरती की एयरपोर्ट पर रंगे सियार से नहीं देखे जायेंगे.अगर बीच उदंमें ही हड़ताल पर चले गए पायलट या फिर डीजल,पेट्रोल,केरोसिन या जो कुछ भी पड़ता हो वाही चुक गया तो.बीच में दूसरा प्लेन भी नहीं बदल सकते न.या फिर तनख्वाह न मिलने से बौराए पायलट ने फुल स्पीड में बिना लायसेंस के उड़ा दिया विमान और तुम्हें मिचली आने लगी तो.शीशा खोल के उलटी भी न कर पाओगी.ये भी नहीं कह सकती कि विमान वाले डरेबर विमान जऱा धीरे हांको जी.
                                                                     मन कि जो हवाई जहाज चुना है वो दारू वाले राजा का है.चाहे तो अपने बोईंग से भर जावेंगे तेल हवा में.पर फिर से कहे देते हैं ये हवाई यात्रा के लक्षण ठीक नहीं.और तो और ये भी हो सकता है कि यात्रा के दौरान पता चले कि 'प्रिय यात्री जिस विमान में आप यात्रा कर रहे हैं उसका लायसेंस रद्द हो चूका है,कष्ट के लिए खेद है'.
                                                                               पर मेरे सरे ब्रह्मास्त्र  खाली पीली बेकार साबित हुए.श्रीमती जी कहने लगीं अपने दारु वाले राजा सा मैंने कहीं न देखा.ऐसा बगुला भगत तो बिना बत्ती कि टॉर्च से भी धुन्धने पर न मिले.अरे! हवाई जहाज में तेल तो अपने तीन चार द्वीप किराये पर उठाकर डलवा दें. उनके तो अपने खुद के ही चार-चार बोईंग वाले विमान हैं चाहें तो...शिर्डी टू
दिल्ली चलवा दें.सोचो जब उनकी नौकाएं ही महारानी हैं तो खुद महाराजा कैसा होगा. रही बात डरेबर कि तनख्वाह की तो तो एक पार्टी के खर्च से चूका दें.और सुनो दिवालिया हों उनके दुश्मन .ऐसा कौन सा खेल है जिस पर उन्होंने मुंह न मारा हों भला.ऐसा हिम्मती काम तो दारुवाले राजा ही कर सकते हैं.हाथ में हीरे का कंगन और गले में सोने का लौकेट पहन कर भीख मांगी है.दिलदार इतने कि बापू के सरे सामान उतने कि रकम चूका कर लाये जितनी बापू ने सपने में न सोची हों.महिला सशक्तिकरण उनके कारन ही फल-फूल रहा. साल भर में एक कैलेण्डर छपवाने के लिए आधे साल विदेशों में रहते हैं.अब बताओ जी कौन सी कमी है मेरे दारुवाले राजा में.मैं उसी दीनता से मुंह लटकाए खड़ा रहा और सोचता रहा- दारु बनाने से दारुबाज थोड़े न हों गया कोई.     

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