सोमवार, 30 अप्रैल 2012

जय बाघवातार जी


बाघ जी आप के शुभचरण क्या पड़े रहमानखेड़ा की धरती पावन हो गयी. पूरे 111 दिन का वास रहा इससे साबित होता है कि आप किसी ख़ासमखास उद्द्येश्य के साथ अवतरित हुए थे। बिना गड्ढे की सडक़ जैसे झलक दिखाकर गायब हो जाते थे। जब भी लगता की आपके होने का ये वहम भर है तो पोलियो के मामलों की तरह कभी यहाँ तो कभी वहां पाए जाते। वो कहावत भी तेल लेने चली गयी कि इलाका कुत्तों का होता है।। आपने घूम घूमकर अपना इलाका बता दिया। वो तो भला हुआ कि दिल्ली न गए वरना वो भी आपकी हो जाती। आप अवतरित न हुए होते तो पता भी न चलता कि बाघ बचे हैं। बाघ जी भला हो आपका। कुछ जनें बता रहे थे हमें कि आपके कारण उनकी जनरल नॉलेज बढ़ गयी। किताबों में पढ़ा था कि बाघ राष्ट्रीय पशु है आपकी कृपा से अब देख भी लिया। आपकी जि़म्मेदारी का भी जवाब नहीं बाघ जी,चुनाव से पहले आप अवतरित हुए,बाकायदा चुनाव करवाया और सरकार को कार्यभार दिलवा के गए हैं। आप तो नेता टाईप के शहंशाह निकले। अपनी आराम तलबी पर करोड़ों का खर्च करवाया। बाघावतार से ही वन विभाग कर्मचारियों का टैलेंट पता चला। बड़े दिनों से आपको शीशे में उतारने की कोशिश कर रहे थे पर चुल्लू भर पानी में उनके मुंह दिखाकर आपने औकातदर्शन करवाया कि बाघ पकडऩे चले हो फर्जी की मुठभेड़ करने नहीं। इसी बहाने हमारा हद निकम्मापन भी उसी चुल्लूभर पानी में उतराने लगा। टाईगर सफ़ारी के सपने उसी तरह से परवान चढ़े जैसे राहुल गाँधी के दम पर देश से गरीबी हटानी हो। वो तो भला हो कि आपने बैरक में लौट जाने का फैसला ले लिया वरना सेना बुलाने के आसार नजऱ आने लगे थे। हर तरह के आपरेशन में तो उसकी जरूरत पड़ती है। कभी प्रिंस आपरेशन तो कभी कोई और आपरेशन। कुछ दिनों में तो राशन की लाईन लगाने के लिए भी सेना न बुलानी पड़े। कईयों को आपने नक़ाब पहना दिया। जानवरों के नाम पर पेट भरने वाली पेटा दर्शन करने तक नहीं आई। पूनम पाँडे की तरह कोई चाल न चली सुखिऱ्यों में आने की ख़ातिर बस अपनी नैचुरल चाल चलते रहे। वनाधिकारी आपकी चरण रज माथे लगाते रहे और ताजे बासी के फेर में पड़े रहे। एक से एक पोज दिए कैमरे को, पर पिंजरे वाला दुर्लभ पोज 111 दिन बाद ही नसीब हुआ। रूपकली और चम्पाकली भी आयीं। पर बड़ा संयम बरता आपने भी दोनों के झांसे में नहीं आये। आपके बहाने नेताओं को भी कुछ एडवेंचरस करने का मौका मिल गया। जिनकी नेता बनते ही जान पर बन आती है, वो भी जनता की समस्या सुनने के नाम पर पिकनिक मना आये। अब जब भी बाघ आये तो घबराना मत क्योंकि किसी ख़ासमखास उद्दयेश्य के लिए अवतरित होगा। बाघ जी भला हो आपका जो हमारे ज्ञानचक्षु खोल दिए।

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