बुधवार, 11 अप्रैल 2012

अजब बाबा गज़ब बात


 
अन्डरवर्ल्ड के बाद सबसे ज़्यादा जो धंधा उफ़ान पर है वो है बाबागिरी. गुंडागिरी, उठाईगिरी, दाउदगिरी, नेतागिरी,जैसी हर टाईप की गिरी का तोड़ है पर बाबागिरी का कोई तोड़ नहीं. अब तक पेशे में उपाधियाँ होती थीं, डाक्टर, इंजीनियर, वकील, अफ़सर या फिर फलांचंद सरयूपारीण. ये सब तो पटरा उपाधियाँ लगती थीं असली वाली तो छात्रसंघई के सदाबहार दिनों में गुंजायमान होती थीं-अलाना सिंह उफऱ् 'अन्ना', ढिमकानाभाई उफऱ् 'पिंटू'. कसम से गज़ब का इम्प्रेसन जम जाता था पर इन सबकी भी कमरतोडू उपाधियाँ पाई जाती हैं बाबागिरी के पेशे में.. जैसे श्री 1001 बाबा अनशनानंद जी,श्री 5001 बाबा जटाधारीनन्द जी.ये सब तो  डेमो भर हैं बड़ेवाले बाबाओं के अब तो आई.आई.टीएन भी बाबागिरी में छपाक से कूद पड़े हैं.ऐसे  में बाबागिरी का लेवल ही चेंज हो गया है.
                                                                  भूखे,सताए चीकट लोगों  के लिए नहीं है बाबागिरी ये उनके लिए है जो नटई तक गांज के  इतना पेट भरे हैं कि डकार लें तो एक आदमी भर का खाना बाहर आ जाये भक से.ये दीन दुनिया से अघाए अरबों डॉलर के द्वीप बसाते हैं. रुपयों से मोहभंग हो चुका इनका. और तो और कुछ तो मंकीवाले भगवान टाईप के खोजी हो गए हैं.संजीवनी खोज लाये और उसी के इम्पोर्ट एक्सपोर्ट में जुटे पड़े हैं.कभी कुकुरासन तो कभी ऊटपटांगासन सिखाते हैं और मनुष्य नमक जीव घंटों इस मुद्रा में बिता देता है. ये स्पेशल टाईप कि बाबागिरी बड़ी हाईफाई हो चली है. मीडिया नाम के पालतू से बड़ा चिपकाव महसूसते हैं, बयानों की रोटीफेंकते रहते हैं उसके सामने.पर ये लती फेंकी रोटी खाता ही नहीं जो मुंह में हो वही ले उड़ता है. इधर श्री श्री 2000वन वाले बाबा जी के साथ बड़ा ख़ूबसूरत हादसा हो गया.गुलाबी नगरी में गुलाबी सा बयान दे बैठ्यो की-सरकारी स्कूल न जइयो खाली प्राईवेट स्कूल जईयो.वजह पूछो तो यही कि प्राईवेट वाले मनु शर्मा, विकास यादव और मोह्न्दर सिंह पंधेर सरीखा अनुशाशन सीखे हैं और सरकारी वालों को नक्सली होने का चस्का लग जाता है अपने कलाम साहब कि तरह.बड़ा ग्लो है इन बाबा के काले केशों से सुसज्जित चेहरे पर.किसी फेयरनेस कंपनी का ऐड तो बिना देखे ही मिल जाये और उस पर से लांड्री में धुली 6 गज ,का झक सफ़ेद ड्रेस इनकी पर्सनैलिटी में आठ चाँद लगा देता है.      
   36 हज़ार करोड़ रूप हैं बाबा के कभी माखनचोर तो कभी नवाबी स्टाईल में परकट होते हैं.अईसा वईसा बाबा न समझ्यो इनका.एयरकंडीशंड कमरों में पसर कर जीने की कला सिखाते हैं. सडक़ पर पड़ी नहीं पाई जे कला. जौन सी उम्र मां ध्यान कहीं और होना चाहिए उस उमर में 10 दिन के मौन में चले गए. जब बहार निकले तो पप्पू की जैसे चिल्ला पड़े -मैं तो जीने की कला पायो,सुदर्शन क्रिया पायो.बस वही वो राहुकाल था जिस बखत 2000वन वाले बाबा के पांव फिसल गए. फिर फिसले तो ऐसा फिसले की फिसलते गए बस फिसलते गए और श्री श्री 2000वन आर्ट ऑफ लिविंग संस्था पर आकर टिके. अईसे वईसे बाबा नहीं हैं ये दो बार श्री श्री वाले बाबा हैं.ठीक वैसे ही जैसे बहुतय खऱाब चीज़ को दो बार छि: छि: कहना पड़ता है.जीने की कला सिखाते हैं जी भरे पेट से. बड़े ही त्रिकालदर्शी हैं दो बार श्री श्री वाले बाबाजी.उन दस दिनों की फिसलन अज तक जारी है.अमरीका लन्दन खान खान नहीं फिसले.हाल में पकिस्तान तक फिसल कर आये हैं. वहे के बाद से बक रहे कि प्रेम का पुजारी हूँ तालिबान से सम्जहौता करा सकता हूँ.पालिटिक्स तक पांव फिसले इससे पहिले श्री श्रे 2000वन वाले बाबा सरकारी स्कूल 'पर फिसल गये.  इस बार बिजिनेस की कला पायो. लगता है गुरूजी  ग्रुप ऑफ इन्सटीट्युट खोलने वाले हैं प्राईवेट वालों के श्री श्री 2000वन वाले बाबाजी. 
 

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