गुरुवार, 7 जून 2012

चलो कुछ क्रिएटिव करें



लो जी संसद में कॉपी राईट एक्ट पास हो गया और फायदा जिसका ये हुआ कि आप किसी  के पहले वाले काम की चोरी नहीं कर पाएंगे.जैसे दो पडोसी आपस में कटाजुझौव्वर कर रहे हैं.एक दावा करे कि पूरे मोहल्ले में बीवी से पीटने वाला वो पहला है इतने में दूसरा झट से चिल्लाये नहीं रे तुझसे पहले मैं था.. ये क्रिए..टिबिटी का सवाल है इसलिए सब पर समान रूप से लागुएमान है. अब से जो कुछ भी नया और पहली बार होगा क्रिए..टिबिटी यानि की रचनात्मक माना जायेगा. क्रिए..टिबिटी का कानून बनने इस अदने से मन मस्तिष्क में कुछ दृश्य बन रहे हैं.

दृश्य एक-सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपने पे उतर आयीं हैं. अभी तक सेना टाईप की पार्टियाँ ही खुल्ले में हंगामा करती थीं पर अब भाजपा के साथ साथ कांग्रेस ने भी कब्ब से डुबकी लगा दी है. भाजपा त्रिशूल और सेना सहित चिल्लपों मचा रही है कि घोटालों का सारा क्रेडिट कॉँग्रेस ही ले जाये ऐसा कैसे हो सकता है. अगर दस्तावेज़ बाकी बचे होंगे तो जाँच से ये साफ़ पता चल जायेगा कि घोटालों की शुरुआत हमीं से मानी जाये. इस दलाली भरी दलील पर पर कॉँग्रेस चीयरलीडर्स सी कुलांचे भरती है और अपने निकनेम का हवाला देते हुए कहती है कि इस मामले में जो भी कहेंगे सच कहेंगे.आखिर इतने बड़े बड़े घपलों का खुलासा हमारी सरकार में हुआ तो क्रेडिट हमहीं को जावे. इतनी चू-चपड़ के बाद मेरे द्वारा स्वविवेक से यह मान लिया गया है कि जिस प्रकार से सूर, तुलसी के जन्मस्थान  को  एक किवदंती के अनुसार निर्धारित किया जाता रहा है. ठीक उसी प्रकार सबसे 'पहले और सबसे बड़े घोटाले का जन्म खान और किस सरकार में हुआ इसका पता नहीं लगाया जा सकता है.

दृश्य -परधानी के बाद अब निकाय चुनावों में एक नयी परकार की रचनात्मक पुरवईया चल रही है. क्रिए..टिबिटी का भण्डार चुनावी पोस्टरों में साफ़ देखा जा सकता है. जहाँ महिला प्रत्याशी हाथ जोड़े फोटू ऐंचवा रही है जो घर में भी हाथ जोड़े रहती हैं और फोटू में भी. साथ में महिला का पति भी लगता है पहली दफ़ा शादी के सात फेरों का पालन तटस्थ भाव से करता दिख रहा है और सेम सेवाभाव से हाथ जोड़े खड़ा है. इसके अलावा वोट मांगने के लिए जिन दयनीय शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसके आगे तो अव्वल दर्जे के भिखारी भी शरमा जायें. इसे निम्नलिखित डेमो के द्वारा समझा जा सकता है-

प्रिय जनता आपके चरणों में आजीवन सेवारत क्षेत्र के इमानदार प्रत्याशी को भरी मतों से विजयी बनाएं.

दृश्य - प्रीतम और अनु मालिक जैसे कुछ धुन और स्टोरी चोट्टों को छोड़ तो बॉलीवुड रचनात्मकता का सबसे बड़ा खरीददार और बेंचूलाल है. जितना सम्मान वो मधुबाला और मीना कुमारी को देता है उसी भाव से वीना और पाउली डैम को भी देता है. इस तरह की विशेष श्रेणी की रचनात्मकता को नेता लोग संसद में देखकर सम्मान देते हैं.यानि बात संसद में कॉपीराईट एक्ट के पास होने से शुरू हुयी थी और अंत में संसद में रचनात्मकता के सम्मान पर आकर रुकी.पाठकों से निवेदन है कि वे मेरी ज़बरदस्ती का लेखक बनने की हुज्जत को इस लेख को पढक़र सम्मान दें.भई!आखिर रचनात्मकता तो आखिर रचनात्मकता होती है .

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