गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

बड़ा डर लागे है आजकल जी. एक दुकान पर लिखा देखा था यहाँ कान से सुनने की मशीन मिलती है. दिमाग  भन्ना गया एकदम कि भाया अगर ये कान से सुनने की मशीन बेंच रहे हैं तो अब तक हम सुनने के लिये किसका प्रयोग करते आ रहे थे. वो तो भला हो तुरंत खबरिया चैनल का जिससे पता चला बैसाखी की जगह हियरिंग मशीन थमा दी गयी है. अबतक लोग भले ही बैसाखी से चला करते हों पर आगे से कान से सुनने वाली मशीन से चला करियेगा. एक नेताईन जी के ट्रस्ट का स्पेशल प्रोडक्ट है. ऑस्ट्रिया के फेलिक्स भाई साहब ने अंतरिक्ष से नये तरीके की छलांग लगाई है. हिम्मत हो तो हियरिंग मशीन से चलकर दिखावें. अव्वल दर्ज़े के एडवेन्चरस काम तो इंडिया में ही होते हैं. हमारी ना मानो तो राष्‍ट्रीय दामाद जी से पूछो. सोना डार्लिंग को तो छोड़ो रॉबर्ट तक बताने को तैयार नहीं कि कितना माल था. ये काम अपने ट्रस्ट वाले गुर्गे और दूसरे खास लोगों को जरूर सौंपा है. दामाद नाम के जीव की अचानक टीआरपी बढ़ गयी है. पूजा पाठ के मौसम में खासी डिमांड रहने वाली है. कुछ कंपनियों ने मौका ताड़कर राष्ट्रीय दामाद नाम के प्रोडक्ट भी बाज़ार में उतार दिए हैं. आम आदमी के झोले में मैंगो और बनाना के साथ राष्ट्रीय दामाद का भी बोझ बढ़ गया है. वो टूजी वाला और बत्तीस पैसे वाला एडवेन्चर तो पुराना हो गया. कोलगेट वाला थोड़ा ताज़ा है. इंडिया गेट, चाइना गेट सब फीके पड जायें. कोल गेट से बड़े बड़े सफेदपोश बेदाग निकल गये. काजल की कोठरी में भयंकर वाले सयाने घुसे और चौंका देने वाली सफेदी के साथ बाहर निकले. एक नया लड़ाका पानी पी पीकर पीछे पड़ा हुआ है. बिल्कुल भकौवां बनकर डरा रहा है. नेता लोगों की सांस इस लड़ाके के खुलासों में अटक गयी है. बडबोला टाईप का ये लड़ाका अपनी टीम से सस्पेंड किया जा चुका है. अपने कैप्टन की टोपी पहनता है. खबर है कि पॉलिटिक्स में अपने लिए स्पेस का जुगाडमेंट कर रहा है. नये तरीके का एडवेन्चर चलन में है. खांटी दुकानदार की तरह ट्रस्ट एक बार सेवा का अवसर मांग रही है. तो आप सब क्या कहते हैं?

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