गुरुवार, 24 जनवरी 2013

साहब अब क्या करुँ आपका

शिंदे साहब अब क्या करुँ आपका...इस उमर में दिल बच्चा होता तो चलता पर इस पद पर रहते हुए काहे को रेशमी डोर काटते हैं. सिर्फ़ काट रहे होते तो भी चलता पर आप तो जूझे पड़े हैं। आप ही बताओ कौन से वाले ख़ानदानी हक़ीम से ईलाज करवाऊँ।तौबा कैसी लपलपाती ज़बान की नेमत से नवाज़ा है आपको ख़ुदा ने। कल को आपके बेटियाँ थीं और आज साहब(सईद जो चाचा भी हैं) हैं।लफ़्फाजी के कौन से कैम्प के शार्गिद हैं बताएँ तो ज़रा। कहीं बुड़बक राहुल को बचाने की ख़ातिर तो नहीँ ऐँठे ऐंठे से घूम रहे है।या फिर सोनिया मां के आँसुओं में ऐसा बहे कि भाजपा वाया पाकिस्तान पहुँक गये।चलो कोई ना इस उमर और पेशे में सभी रपटते हैं। फिर आप रपटे तो तान के रपटे।चलो अब उठो और कैमरे के आगे जो कुछ झाड़ना झूड़ना है झाड़ लो।
-संध्या यादव

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