मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

अगर मैं प्रेम कविता लिखूँ तो वाह, बहुत ख़ूब, डीप फ़ीलिंग्स, कीप इट अप और अगर समाज की सच्चाई को आईना दिखाता कोई स्टेटस धीरे से चिपका दूँ तो लोगों को मानो साँप सूँघ जाता है। अपने हक़ की बात करूँ तो स्त्रीवादी लीक से हटकर कोई विधा अपनाऊँ तो सलाह मिलती है सँध्या यू नो राइटिंग सटायर इज अ टफ़ेस्ट जॉब स्पेशली फॉर गर्ल्स। ऐसा करो कुछ मसाला टाइप्स लिखो संडे मैग्ज़ीन के लिए। भईया काहे को मैं रेसेपीज़, लेटेस्ट फ़ैशन, ब्यूटी टिप्स, उनका सर्दियों में ख़याल रखने और ख़ुश रखने वाले दो कौड़ी के लेख लिखूँ।क्यों ना मैं ऐसे हर सुझाव को लात मार दूँ।ना मुझे किसी भी वाद में दिलचस्पी नहीं। ना स्त्रीवाद में ना पुरुषवाद में। मुझे मेरा मैं खोजने दो। मेरा मैं जीने दो।वक़्त ही तो लगेगा ना क्या हुआ ।कम से कम मँज़िल का रास्ता मेरी मेहनत और ख़ूबियों से होकर जायेगा ।
                                ,.....................................संध्या यादव  

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