यहाँ हर उस सपने की क़ीमत है
जिसमें अँधेरे रातों के
दिन कहे जाते हैं
वक़्त को घड़ी की सुईयों में
बाँध लेना छलावा है
भला कहीँ दर्द भी
तहज़ीब से लिखे जाते है
-संध्या यादव
जिसमें अँधेरे रातों के
दिन कहे जाते हैं
वक़्त को घड़ी की सुईयों में
बाँध लेना छलावा है
भला कहीँ दर्द भी
तहज़ीब से लिखे जाते है
-संध्या यादव
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