मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

खोट ना मुझमें थी ना तुममें,ये वक़्त था जो घूम रहा था घड़ी की सुईयों मे,कुछ समझौते बुनियाद थे हमारी आपसी समझ के,हम हमेशा त्रिभुज के अलग कोने होंगे अगर दुनिया को तिकोना मान लिया जाये,तारीख़ें वही रहेगी बस कैलेण्डर और साल बदल जायेगें
-सत्य के नितांत अपने प्रयोग

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