शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

संभवतः रात का तीसरा पहर 

मैं सुनता हूँ 

दूर बस्ती के लाउडस्पीकरों से 

रोज़ेदारों के उठने की गुहार 

मन उकेरता है एक तस्वीर 

और दुआ में मांगता है ख़ुदा से 

अज नींद उसके सपने से टूटे 

.........................संध्या 






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