सोमवार, 29 जुलाई 2013

बिहार के मिड डे मील पीड़ित बच्चों के लिए

मरना आम बात है

इतिहास  की गर्दन मरोड़कर 

देख लें

लेकिन मासूम भूख का 

खाने की मौत मर जाना 
सदियों की त्रासदी है

(आज ज़िंदगी  सपनों की दहलीज़ पर दफ़ना दी गई। आज मौत सचमुच बहुत मासूम थी)

-संध्या


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