सोमवार, 12 अगस्त 2013


  1. मत भूलो तमाम उड़ानें हैं आसमान के उस पार 
  तुम ले जा सकते हो अपना डिब्बाबंद प्रेम



2

हमने उसे सफेद संगमरमर कहा
बच्चे कैसे समझते ताजमहल का मर्म भला
जातक कथाओं में शहंशाह कहां?


3



और अंतिम उपहारस्वरूप उसने भिजवाई
एक जोड़ा कठपुतलियां,आम प्रेम कहानी में
पढ़ा दो मौतों का मर्सिया

4

तुम्हारे नाम की एक उबासी 
पुराने संदूक में रखकर भूला और इसतरह
प्रेम में नया औज़ार जुड़ा
-संध्या
· 



5
तुम मनाओ अपनी अपनी ईद

मेरे घर से चाँद का जनाज़ा निकला

सिर से छत भी गयी


6



ज्यादा नहीं मांगती 

बस लौटा देना 

विदा से पहले के 

कुछ क्षण मुझे 

( जो तुम लौटा न सके )


7


अक्सर कविताओं में मैं


'ती' को 'ता' कर देती हूँ

जानती हूँ कि कुछ 

कलम वाले लोग कह उठेंगे 

स्त्री है बस लिख सकती है 

'बिस्तर के अनुभव अच्छे'

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