- मत भूलो तमाम उड़ानें हैं आसमान के उस पार
तुम ले जा सकते हो अपना डिब्बाबंद प्रेम
2
हमने उसे सफेद संगमरमर कहा
बच्चे कैसे समझते ताजमहल का मर्म भला
जातक कथाओं में शहंशाह कहां?
3
और अंतिम उपहारस्वरूप उसने भिजवाई
एक जोड़ा कठपुतलियां,आम प्रेम कहानी में
पढ़ा दो मौतों का मर्सिया
4
तुम्हारे नाम की एक उबासी
पुराने संदूक में रखकर भूला और इसतरह
प्रेम में नया औज़ार जुड़ा
-संध्या
5
तुम मनाओ अपनी अपनी ईद
मेरे घर से चाँद का जनाज़ा निकला
सिर से छत भी गयी
6
ज्यादा नहीं मांगती
बस लौटा देना
विदा से पहले के
कुछ क्षण मुझे
( जो तुम लौटा न सके )
7
अक्सर कविताओं में मैं
'ती' को 'ता' कर देती हूँ
जानती हूँ कि कुछ
कलम वाले लोग कह उठेंगे
स्त्री है बस लिख सकती है
'बिस्तर के अनुभव अच्छे'
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